Vat Savitri Vrat katha - वट सावित्री व्रत कथा - Vat Savitri Vrat 2025


आज हम वट सावित्री व्रत कथा का अध्ययन करेंगे


वट सावित्री व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए किया जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है और इस दिन वट (बरगद) वृक्ष की पूजा की जाती है।

कथा: इस प्रकार है


प्राचीन काल में भद्र देश के राजा अश्वपति और उनकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी। उन्होंने संतान की प्राप्ति के लिए अठारह वर्षों तक एक लाख आहुति देने वाला यज्ञ किया। यज्ञ से प्रसन्न होकर सावित्री देवी प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि उन्हें एक तेजस्वी कन्या प्राप्त होगी। सावित्री देवी की कृपा से राजा की पत्नी ने कन्या को जन्म दिया, जिसका नाम सावित्री रखा गया।

सावित्री बड़ी होकर अत्यंत रूपवती और गुणवान हुईं। राजा अश्वपति ने उनके लिए योग्य वर की तलाश शुरू की, लेकिन कोई उपयुक्त वर नहीं मिला। अंततः उन्होंने स्वयं अपनी पुत्री को वर खोजने के लिए भेजा। सावित्री तपोवन में भटकते हुए साल्व देश के राजा द्युमत्सेन के पास पहुंची। राजा द्युमत्सेन का राज्य छिन चुका था और वह अंधे थे। उनके पुत्र सत्यवान से सावित्री ने विवाह करने का निश्चय किया।

ऋषि नारद ने राजा अश्वपति से कहा कि सत्यवान अल्पायु हैं और एक वर्ष के भीतर उनकी मृत्यु हो जाएगी। लेकिन सावित्री ने अपने पिता की बातों को नकारते हुए सत्यवान से विवाह किया। विवाह के बाद सावित्री अपने ससुराल में रहने लगीं और सास-ससुर की सेवा करने लगीं।

एक दिन सत्यवान लकड़ी काटने के लिए जंगल गए। सावित्री उनके साथ गईं। जंगल में सत्यवान के सिर में अचानक तेज दर्द हुआ और वह गिर पड़े। सावित्री ने उन्हें गोद में उठाया और वट वृक्ष के नीचे ले जाकर बैठ गईं। तभी यमराज उनके पास आए और सत्यवान की आत्मा को लेकर चलने लगे। सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ीं।

यमराज ने सावित्री से कहा कि यह विधि का विधान है, आप लौट जाइए। लेकिन सावित्री ने कहा कि वह अपने पति के साथ ही जाएंगी। यमराज ने उन्हें तीन वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने पहले वरदान में अपने सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी, दूसरा वरदान में ससुर का खोया हुआ राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की, और तीसरे वरदान में सत्यवान से सौ पुत्रों की मां बनने का आशीर्वाद मांगा।

यमराज ने सावित्री के इन वरदानों को स्वीकार किया और सत्यवान को जीवित कर दिया। सावित्री और सत्यवान खुशी-खुशी अपने घर लौटे। इस प्रकार सावित्री ने अपने पतिव्रता धर्म और साहस से अपने पति को यमराज से वापस लाकर दिखाया।

कथा का महत्व: ये है ki


वट सावित्री व्रत का पालन करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उनके पति की उम्र लंबी होती है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं और घर में सुख-शांति का वास होता है।

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